स्वाधीनता दिवस 2025


स्वाधीनता दिवस के इस पावन अवसर पर भारतीय वैश्य ग्लोबल फाऊंडेशन के समस्त सदस्यों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.


कभी भारी इंपोर्ट ड्यूटी तो कभी एक्सपोर्ट करने पर अन्य देशों द्वारा 25%-50% तक अधिक टैक्स का लगाया जाना. विश्वास कीजिये, व्यापार करना पुराने समय के मुकाबले ज्यादा से ज्यादा जटिल होता जा रहा है. स्वाभाविक है कि हमको जो भी व्यापार करना है, वह वैश्विक वातावरण को ध्यान में रखकर ही करना होगा. इसीलिए, आज आवश्यकता है- आपसी मनभेद एवं मतभेद को बुलाकर एक दूसरे को हर संभावित सहायता देना. चाहे वह व्यापार के किसी भी क्षेत्र से संबंधित हो.


अपने उद्योग में आप कॉस्ट रिडक्शन के लिए क्या कर सकते हैं, ऊर्जा संरक्षण के लिए क्या कर सकते हैं, वेस्ट मिनिमाइजेशन के लिए क्या कर सकते हैं, इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है. इतना ही नहीं प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक उद्योगपति ऐसे अनेक अन्य व्यापारियों एवं उद्योगपतियों के संपर्क में आता है, जहां स्वाभाविक रूप से उनको किसी सहायता की आवश्यकता हो सकती है. ऐसे ऐसे में संकोच किए बिना दूसरों को अपने अनुभव एवं निशुल्क सलाह देनी चाहिए. कुछ लोग हो सकता है आपके व्यापारिक प्रतिद्वंदी हों, प्रतिस्पर्धी हों, लेकिन उनके कारण अन्य लोगों को अपने सुझावों से वंचित मत कीजिए.


कोई सप्लायर अच्छा मैटेरियल सप्लाई कर रहा है या ज्यादा डिस्काउंट दे रहा है, तो उसके बारे में अपने परिचित अन्य उद्योगपतियों से बताइए; आपका कंसलटेंट, आपका चार्टर्ड इंजीनियर या फिर चार्टर्ड अकाउंटेंट आपको अनेक लाभकारी सुझाव दे रहा है तो उनकी तारीफ भी अन्य उद्योगपतियों से कीजिए.


रण रहे आज के वैश्विक वातावरण में अगर हम सब लोग सम्मिलित होकर आगे बढ़ते हैं, तभी देश आगे बढ़ सकेगा. तभी देश की निर्भरता आयात पर कम होगी, एवं हमारे निर्यात पर उचित अनुचित प्रतिबंध लगाने का साहस भी अन्य देश करने से घबराएंगे.


मध्यम एवं लघु उद्योगों में एक और समस्या दिखाई देती है. छोटे छोटे इलेक्ट्रॉनिक सामान, खिलौने अथवा अन्य वस्तुएं हो, या फिर दीपावली पर मिलने वाली झालर; हमारे उद्योगपति आयातित वस्तुओं के सामने कुछ कमजोर से दिखाई देते हैं. इलेक्ट्रीशियन के द्वारा प्रयोग में आने वाले मल्टीमीटर, एम्पेयर मीटर मार्किट में ज्यादातर इम्पोर्टेड ही सरलता से उपलब्ध हैं. इनका प्रोजेक्ट लगाना बहुत महँगा भी नहीं है, फिर भी हज़ारों किलोमीटर का समुद्री परिवहन, सड़क परिवहन की लागत के पश्चात भी अगर हमारे उद्योगपति कॉम्पिटिशन में नहीं टिक पा रहे, तो इस समस्या पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है. 


 कुछ समय पूर्व मुझे एक स्वदेशी मल्टीमीटर बनाने वाली कंपनी के बारे में पता चला. मैंने उससे संपर्क किया और उसको दो पीस मल्टीमीटर का ऑर्डर भेज दिया. कीमत थोड़ी सी अधिक थी परंतु क्वालिटी बहुत अच्छी थी. लेकिन वास्तविकता यह है कि मुझसे उसका क्या भला होगा? मेरे उद्योग में इस प्रकार के मल्टीमीटर की खपत सालाना दो या तीन पीस से ज्यादा नहीं है; और उसके पास हज़ारों उपभोक्ताओं तक पहुंचने के लिए कोई उचित साधन भी नहीं है.


 सुझाव है कि इस प्रकार की छोटी-छोटी वस्तुओं के लिए सरकार द्वारा विभिन्न वस्तुओं के लिए अलग-अलग छोटे विशिष्ठ पोर्टल (या वेबसाइट) बनाये जायें, जिसमें उत्पादक के बारे में एवं उस उत्पाद की बिक्री से सम्बंधित सूचनाएं हों. उत्पाद जैसे- डिजिटल थर्मामीटर, पल्स ऑक्सीमीटर, मल्टीमीटर, मोबाइल चार्जर, बिजली के झालर इत्यादि. थोक विक्रेता, दुकानदार एवं ग्राहक सभी इससे विभिन्न स्वदेशी उत्पादकों के बारे में एवं प्रोडक्ट्स के बारे में जानकारी ले सकेंगे. जिस उद्योग का ज्यादा टर्नओवर हो या फिर जो उद्योग ज्यादा जीएसटी जमा करता हो, वह स्वाभाविक रूप से इस लिस्ट में ऊपर आएगा; और जो कम करता है, वह लिस्ट में नीचे होगा इस लिस्ट को हर 3 महीने या 6 महीने के अंतराल पर अपडेट किया जा सकता है. केवल लघु उद्योगों को ही बढ़ावा देने के लिए, वह उद्योग जिनका टर्नओवर 5 करोड़ या 10 करोड़ प्रतिवर्ष से ज्यादा हो, उनको इस लिस्ट में सम्मिलित नहीं किया जाना चाहिए. 


 हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारी तरक्की केवल तब ही संभव है जब हमारे देश की तरक्की हो. वस्तुत देश है तो हम हैं. स्वाधीनता दिवस के इस पावन अवसर पर आईए संकल्प लें, कि हम अपने उद्योग के द्वारा राष्ट्र की प्रगति में यथासंभव योगदान देंगे.


 


जय हिंद जय भारत.


देवेश कुमार सिंघल
जिलाध्यक्ष (उद्योग विकास विंग)
भारतीय वैश्य ग्लोबल फाऊंडेशन


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