"इस हाथ दे, उस हाथ ले" – गाड़ियों के प्रदूषण की समस्या का समाधान
समस्या की जड़:
सरकार, निर्माता, डीलर, सर्विस सेंटर और आम आदमी – सभी अधिक गाड़ियों के पक्ष में हैं।
नतीजा: ट्रैफिक जाम, ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या।
सरकारी प्रयास:
भारत मार्क ईंधन, ऑड-इवन, 10 वर्ष पुराने वाहनों की हटाने की नीति, इलेक्ट्रिक/हाइड्रोजन वाहन – सभी प्रयास सराहनीय लेकिन सीमित सफलता।
मध्यम वर्ग की समस्या:
आवश्यकता अनुसार ही उपयोग होने वाली पुरानी गाड़ी बदलना आर्थिक रूप से कठिन।
BVGF का समाधान प्रस्ताव:
प्रस्तावित तिथि: 26 जनवरी 2026 से लागू।
नीति:
नई गाड़ी खरीदने के लिए अनिवार्य होगा: पुरानी गाड़ी के स्क्रैप/नष्ट होने का प्रमाण-पत्र।
यदि पुरानी गाड़ी नहीं है: तो किसी अन्य व्यक्ति से स्क्रैप सर्टिफिकेट खरीदना पड़ेगा।
इसके लिए:
एक डिजिटल पोर्टल बने जिसमें:
पुराने वाहन बेचने वाले और नए वाहन खरीदने वाले दोनों पंजीकरण कर सकें।
स्क्रैप प्रमाण पत्र उचित कीमत पर ट्रांसफर किए जा सकें।
4-5 दोपहिया के बदले एक चारपहिया खरीद की अनुमति भी विचाराधीन।
लाभ:
गाड़ियों की संख्या नियंत्रित होगी।
प्रदूषण कम होगा।
पुरानी गाड़ियों का स्क्रैपिंग बढ़ेगा।
वाहन बिक्री में तत्काल उछाल आएगा।
सरकार को टैक्स और कंपनियों को बिक्री लाभ मिलेगा।
आह्वान:
यह सुझाव लेखक की व्यक्तिगत राय है।
कृपया अपने विचार भेजें और पर्यावरण को बेहतर बनाने में योगदान दें।
— देवेश कुमार सिंघल
जिलाध्यक्ष (उद्योग विकास विंग)
भारतीय वैश्य ग्लोबल फाउंडेशन
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